मोमबत्ती की हर लौ के साथ बहे अश्क
आंखों में गम व कलेजे में गुस्से का समन्दर
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते…

फिरोज आलम
कोलकाता। ‘न इंतजार करो उनका ए अजा-दारो, शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते…।’ साबिर ज़फ़रन की उक्त पंक्तियों ने आज देर शाम मेयो रोड स्थित महात्मा गांधी मुर्ति के सामने देश के लिये शहीद हुए का सही अर्थ समझा दिया। यहां हाथों में मोबत्तियां लिये लोग शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहें थें। ऐसा लगा कि मोमबत्ती भी शहीदों की याद में जलकर बूंद के शक्ल में आंसू बहा रही है। जी हां, कारी अहमर फाउण्डेशन द्वारा जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों द्वारा किए गए हमले में सीआरपीएफ जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये एक कैण्डेल मार्च का आयोजन चौरंगी से किया गया जो कि गांधी मुर्ति के सामने समापन हुआ। कारी अहमर फाउण्डेशन के निदेशक जैद अनवार मोहम्मद ने कहा कि यह बयान बाजी का समय नहीं है बरन देश के सभी लोगों को एक साथ होकर देश शहीदों के परिजनों के साथ खड़े रहने का है। जवानों के उपर कायराना हमले का हम विरोध करते हैं । गम से हमारा छाटी फट रहा है लेकिन हमे देश के सर्वे सर्वा पर भरोसा है कि वह देश को इंसाफ दिलाएगें। उक्त दौरान नाखुदा मस्जिद के इमाम सफीक कासमी, आदि ने शहीदों को श्रद्धांजलि दिया।

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