कहा, समाज गढ़ने वाले ही हो रहें हैं अधिकारों से वंचित

रमेश राय
कोलकाता। हमलोग भी अध्यापक हैं और हमे भी राज्य सरकार से मुलभूत सुविधाओं की जरुरत है। आज जिस स्तर का हमें वेतन मिलता है वह जिन्दगी जिने के लिये उपयुक्त नही है। उक्त बात वेस्ट बंगाल गेस्ट लेक्चर्स एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है। उक्त लोगों ने सैंकड़ों की संख्या में हाजरा से अपनी मांगों के तहत एक जुलूस निकाला जो कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निवास के सामने गुजरी। एसोसिएशन के सचिव गोपाल चंद्र घोष व कोलकाता जिला की सदस्य सुमना साहा दास व वंदना बसु भौमिक ने बात करते हुए मीडिया कर्मियों को बताया कि राज्य में अतिथि शिक्षकों की स्थिति यहां बदलहाल है।लेकिन हम समाज को गढ़ते हैं। राज्य के 540 कालेजों में कार्यरत 10 हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों के सामने रोटी का संकट है। क्यों कि वह मूलभूत सुविधाओं को नहीं पा रहें है। सुमना साहा दास ने कहा कि वाममोर्चा के दौर में अतिथि शिक्षकों को स्थायी कर दिया गया था। लेकिन तृणमूल सरकार के दौर में 2011 से 2019 तक कार्यरत अतिथि शिक्षकों के सामने तमाम समस्याएं हैं जिनका समाधन उक्त सरकार नहीं कर रही है। हमे स्वास्थ्य सेवा से लेकर न्यूनतम वेतन ही नही मूलभूत अधिकार भी नहीं मिल रहें है जबकि हमलोग स्थायी शिक्षकों से किसी भी मायने में कम सेवा नहीं दे रहें है। इस राज्य में अतिथि शिक्षकों को दो हजार रुपये में भी अपनी सेवा देना पड़ रहा है जो कि शर्मनाक ही नहीं मानवता के खिलाफ भी है। राज्य के 540 कालेजों में 10 हजार अतिथि शिक्षक व्यवस्था संभाल रहे हैं, लेकिन उन्हें मानदेय नाम मात्र का दिया जा रहा है। अतिथि शिक्षकों को इतना कम वेतन मिलता है कि उन्हें गृहस्थी चलाने तक में परेशानी आती है। अगर हमारे दर्द को व्यवस्था नहीं सुनती है तो हमलोगों के पास वृहत्तर आन्दोंलन के अलावा कोई और चारा नही होगा।

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