पीकिंग । राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज पीकिंग विश्‍वविद्यालय में कुलपतियों और भारत तथा चीन के उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के प्रमुखों की गोलमेज सभा में शिरकत की। उन्‍होंने विचार-विमर्श पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की रिपोर्ट प्राप्‍त की और उनकी मौजूदगी में भारत और चीन में उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के मध्‍य सहयोग के लिए 10 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन 21वीं सदी में महत्‍वपूर्ण और रचनात्‍मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि छठी शताब्दी के दौरान उच्‍च शिक्षा के संस्‍थानों जैसे- नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा और ओदंतपुरी ने विद्वानों को आकर्षित किया और इस क्षेत्र तथा इससे बाहर के अन्‍य देशों में स्थित प्रसिद्ध शैक्षिक संस्‍थानों के साथ संबंधों को विकसित किया और शैक्षिक आदान-प्रदान किये। इन सब में तक्षशिला भारतीय विश्वविद्यालयों का सबसे अधिक संपर्क वाला विश्‍वविद्यालय था जो भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी सभ्‍यताओं का मिलन स्‍थल था। अनेक विख्‍यात लोग तक्षशिला आये जिनमें पाणिनि, सिकंदर, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, चरक, और चीनी बौद्ध भिक्षुओं फाइयान और ह्वेन त्सांग जैसी हस्तियां शामिल हैं। आज भारत सरकार ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ इस परंपरा को पुनर्जीवित करने और उत्कृष्टता के केन्द्रों का सृजन करने के लिए अनेक दूरगामी पहल राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार किसी देश की उत्पादन क्षमता को व्‍यापक बनाने वाले मूल तत्‍व हैं। राष्ट्रों के भविष्य का विकास उसके संसाधनों का मौजूदा प्रौद्योगिकी द्वारा होने वाले उपयोग से इतना अधिक नहीं हो सकेगा जितना अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से बेहतर उपयोग द्वारा हो सकता है। नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र आवश्यक है। शैक्षिक संस्थानों से उत्तीर्ण छात्रों की गुणवत्ता हमेशा से अनुसंधान और नवाचार के लिए शिक्षण, अनुसंधान और ओरिएन्‍टेशन की गुणवत्ता से प्रेरित होती है। उद्योग के साथ अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता तीनों के माध्यम से ही शिक्षण संस्‍थानों का अंतर जुड़ाव के लिए विनिर्माण क्षेत्र में सतत गति और जनता का चहुंमुखी विकास तथा संतुलित आर्थिक विकास महत्‍वपूर्ण पहलू हैं।  शुरू की है ताकि ये केंद्र विश्‍व के शीर्ष संस्‍थानों में स्‍थान हासिल कर सकें।

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