हावड़ा/कोलकाता। लाखो-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतिक मां शारदा जयंती पर बेलूड़ एवं जयरामबाटी में श्रद्धालुओं की आज भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने भक्ति भावना के साथ उनका स्मरण भी किया। ठाकुर रामकृष्ण परमहंस की पत्नी मां शारदा की 166 वीं जयंती के मौके पर बेलूड़ मठ एवं जयरामबाटी में आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। बेलूड़ मठ में सुबह से ही मंगलारति, होमयज्ञ, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। बेलूड़ मठ में शोभायात्रा निकाली गई और भोग का वितरण किया गया। उल्लेखनीय है कि शारदा देवी का जन्म 20  दिसम्बर 1853 को पिता रामचन्द्र मुखर्जी और माता श्यामासुन्दरी देवी के यहाँ हुआ था। वह भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं। रामकृष्ण संघ में वे ”श्रीमाँ” के नाम से परिचित हैं। उनके पिता और माता कठोर परिश्रमी, सत्यनिष्ठ एवं भगवद् परायण थे। केवल 6 वर्ष की उम्र में इनका विवाह श्री रामकृष्ण परमहंस से कर दिया गया था। जब रामकृष्ण परमहंस के साथ विवाह हेतु कोई योग्य कन्या नहीं मिल रही थी तब उन्होंने जयरामबाटी में पता लगाने के लिये कहा था और कहा था कि इस कन्या का जन्म मेरे लिये ही हुआ है। सामान्यत: विवाह कर्म प्रजोत्पत्ति के लिये किया जाता है किन्तु शारदा देवी और रामकृष्ण परमहंस का विवाह संबंध अलौकिक था। भगिनी निवेदिता के अनुसार मां शारदा प्राचीन आदर्श की अन्तिम प्रतिनिधि एवं आधुनिक युग की पहली प्रतिनिधि हैं।
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