तीन राज्यो में भाजपा की हार से मिली येचुरी को हिम्मत
प्रदेश में तृणमूल के क्रिया कलाप को बना सकते है हथियार

कोलकाता। जिस तरह से राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ने राज्य में कभी वाममोर्चा के गढ़ को अपने उल्लेखनीय नेतृत्व में उखाड़ फेंका था। वह रियल लाईफ में किसी चमत्कार से कम नही कहा जा सकता है। आज राज्य में मृतप्रायः वाममोर्चा की हालत बद से बदतर है और इसे जरुरत है सकरात्मक मुद्दों व युवा उर्जा की। कभी इस राज्य की सत्ता पर 34 सालों तक एकछत्र राज करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तो अब बिते समय की जैसे बात हो चली है। आज महानगर कोलकाता में आयोजित माकपा के जिला सचिवों की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने माकपा नेतृत्व को भाजपा की कमजोर होती स्थिति का लाभ उठाने की हिदायत दी है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता में हुई जिला सचिवों की बैठक बेहद अहम मानी जा रही है। आगामी चार महीने तक राज्य में पार्टी की रणनीति और आंदोलन की रूपरेखा आज तैयार की गई। बैठक में सीताराम येचुरी ने स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल का एक बड़ा जनमानस सत्तारूढ़ पार्टी यानी तृणमूल कांग्रेस से क्षुब्ध है और विकल्प की तलाश में है। उस विकल्प के तौर पर माकपा को सामने आना होगा। इसके लिए नए सिरे से आंदोलन, पार्टी नेताओं से समन्वय और लोगों के बीच अपनी उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए। माकपा सूत्रों ने बताया कि जिला सचिवों की बैठक में येचुरी ने स्पष्ट किया है कि पांच राज्यों का चुनाव परिणाम इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देशभर में भाजपा कमजोर हुई है। चुनाव परिणाम के बाद पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में भी भाजपा की शक्ति घटी है। इसका लाभ पश्चिम बंगाल में माकपा को उठाना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि विगत सात सालों में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस से त्रस्त लोग भाजपा की ओर मुड़े हैं। लोगों को लगता था कि तृणमूल को सत्ता से हटाने में सक्षम एकमात्र भाजपा ही है। इसीलिए माकपा के पारम्परिक मतदाता भी भाजपा के समर्थक बन गए। ऐसे में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम और विगत चार सालों में केंद्र सरकार की नीतियों ने भाजपा को बहुत हद तक कमजोर किया है।माकपा को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने हिदायत दी कि प्रत्येक जिले और ब्लॉक स्तर के नेता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करें।बहरहाल देखना है कि वाममोर्चा इस कवायद पर आगे कितना बढ़ पाती है।

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