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अधर में लटकी भगवा खेमे की आश
कोलकाता। आज भी भाजपा की रथ यात्रा पर कलकत्ता उच्च न्यायालय में फैसला नहीं हो सका। न्यायमूर्ति तपोव्रत चक्रवर्ती की एकल पीठ में राज्य सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने भाजपा की रथयात्राओं को अनुमति देने संबंधी याचिका के खिलाफ अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार के पास ऐसी खुफिया सूचनाएं हैं कि भाजपा की रथयात्रा को केंद्र कर राज्य भर में सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाएं घट सकती हैं तो ऐसे में रथ यात्राओं को अनुमति देने का कोई औचित्य नहीं बनता है। भाजपा अधिवक्ताओं ने कहा कि एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते उन्हें अपना प्रचार-प्रसार करने का पूरा हक है। भाजपा अधिवक्ताओं ने यह भी बताया कि जिस रथ यात्रा की आड़ में उन्हें अनुमति नहीं देने की बात की जा रही है वास्तव में वह कोई धार्मिक रथ नहीं बल्कि बस पर सवार होकर केंद्रीय नेताओं की यात्रा है, जिसके जरिए लोगों से संपर्क अभियान चलाया जाएगा। हर एक राजनीतिक पार्टी को यह लोकतांत्रिक अधिकार है और इसे किसी भी कीमत पर नहीं रोका जा सकता। अगर किसी तरह की कोई कानून व्यवस्था की समस्याएं हैं तो उसे संभालना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है ना कि राजनीतिक पार्टियों को रोकना। इसके पहले भाजपा ने न्यायालय के निर्देशानुसार बुधवार सुबह न्यायमूर्ति के समक्ष बताया कि वह 22, 24 और 26 दिसम्बर को क्रमशः कूचबिहार, दक्षिण 24 परगना के गंगासागर और बीरभूम जिले के तारापीठ से पहली तीन रथ यात्राएं निकालना चाहती है। उधर, राज्य सरकार की ओर से गत 13 दिसम्बर को लालबाजार में हुई राज्य सरकार के प्रतिनिधियों और भाजपा नेताओं के बीच की बैठक का वीडियो फुटेज न्यायालय में मुहैया गया है। वीडियो देखने के बाद न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि मामले पर गुरुवार को फैसला सुनाया जाएगा। हालांकि भाजपा ने अपना पक्ष रखने के लिए और अधिक समय मांगा है। राज्य सरकार की तरफ से भी समय मांगा गया। इसे सुनने के बाद न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि गुरुवार को न्यायालय खुलने के बाद जब मामले की सुनवाई होगी तो भाजपा को 15 मिनट और राज्य सरकार को 10 मिनट का समय अपना पक्ष रखने को दिया जाएगा। इसके बाद न्यायालय अपना फैसला सुनाएगा। उल्लेखनीय है कि गत 13 दिसम्बर को उच्च न्यायालय के खंडपीठ के निर्देशानुसार राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य सचिव मलय दे, गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य और पुलिस महानिदेशक विरेंद्र कुमार ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तथा वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय के साथ कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार में बैठक की थी। बैठक में रथ यात्राओं की अनुमति पर चर्चा हुई थी। इसके बाद गत शनिवार को राज्य सरकार की ओर से भाजपा को चिट्ठी देकर स्पष्ट कर दिया गया था कि विभिन्न जिलों के पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तों के पास ऐसी खुफिया सूचना मिली है कि भाजपा की रथ यात्राओं को केंद्रित कर सांप्रदायिक संघर्ष की घटनाएं विभिन्न क्षेत्रों में हो सकती हैं, इसलिए यात्राओं को अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके खिलाफ सोमवार को भाजपा ने याचिका लगाई थी। मंगलवार को इस पर पहली सुनवाई हुई थी और न्यायमूर्ति ने राज्य सरकार से लाल बाजार की बैठक का वीडियो फुटेज और भाजपा से पहली तीन रथ यात्राओं की संभावित तारीखें देने का निर्देश दिया था। इसके अनुसार बुधवार को दोनों पक्षों की ओर से फुटेज और तारीखें दी गईं, जिसके बाद मामले की सुनवाई हुई। अब गुरुवार को इस पर फैसला आने की उम्मीद है।
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