चिटफंड कंपनी के मालिकों के पास मिली
सीबीआई ने की सुब्रत बख्शी और डेरेक ओ ब्रायन को समन भी जारी

कोलकाता। लगता है कि राज्य के पीछे सीबीआई बूरी तरह से पड़ गई है। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) के अधिकारियों ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 20 से ज्यादा पेटिंग जब्त की हैं। ये पेटिंग चिटफंड कंपनी के मालिकों के पास मिली हैं। चिटफंड कंपनी स्कैम की जांच कर रही सीबीआई ने पाया कि ये पेटिंग 3 से 10 लाख रुपये और उससे ज्यादा में बेची गई थीं। इन कीमती पेटिंग को सीज करने के साथ ही सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के महासचिव सुब्रत बख्शी और पार्टी के राज्यसभा नेता डेरेक ओ ब्रायन को समन भी जारी किया है। इस समन के बाद सुब्रत बख्शी सीबीआई के सामने पहुंचे और उन्होंने उनके सवालों के जवाब दिए। वहीं डेरेक ओ ब्रायन ने सीबीआई का सामना करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में व्यस्त हैं। ब्रायन ने पार्टी पर लगे सीबीआई के आरोपों को खारिज भी किया है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस की कोर कमिटी की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘मैं अपनी पार्टी अपनी कुछ पेटिंग बेचकर चलाती हूं लेकिन सीबीआई इसके लिए मुझे चोर कहती है।’ ममता की तस्वीरें जब्त होने के बाद सरकार ने राज्य में सीबीआई की कार्रवाई को दी गई सहमति वापस ले ली और उन्हें राज्य में कार्रवाई के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। सीबीआई का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस ने इन पेटिंग को बेचकर करोड़ों रुपये कमाए हैं। सीबीआई इसे अपराध मान रही है। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हम पेटिंग को बेचकर रुपये कमाए जाने की जांच कर रहे हैं। यहां तक कि हम इस बात की जांच भी कर रहे हैं कि चिटफंड मालिकों ने ये पेंटिंग कला संग्रह के लिए खरीदीं या फिर सत्तारूढ़ दल को खुश करने के लिए। इसकी जांच में हमने पाया कि चिटफंड मालिकों के पास सिर्फ सीएम ममता बनर्जी की पेटिंग ही थीं और कोई भी कला के नमूने उनके पास नहीं मिले हैं।’ बंगाल पुलिस के कुछ अधिकारियों ने पूछताछ में बताया कि उनके पास यह साबित करने का कोई तरीका नहीं था कि ममता बनर्जी या उनकी पार्टी यह जानती थी कि चिटफंड के मालिकों ने ये पेटिंग निवेशकों के रुपयों से खरीदीं। सीबीआई ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय में इससे संबंधित कई शिकायतें मिली थीं। पीएमओ ने मुख्यमंत्री ऑफिस को कई बार चेतावनी भी जारी की थी। एक अधिकारी ने बताया, ‘हम लोगों ने कम से कम पांच से छह शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए। इनके दस्तावेज हमने पीएमओ और सीएम कार्यालय में कार्रवाई के लिए भेजे इसलिए सरकार यह नहीं कह सकती है कि उन्हें इस घोटाले की कोई जानकारी नहीं थी। इस मामले का पहला केस शारदा ग्रुप के खिलाफ 2013 में दर्ज हुआ था जब कंपनी का भंडाफोड़ हुआ था।’

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