मुड़ीगंगा नदी के ड्रेजिंग के लिये 120 करोड़ रुपये आवंटित

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की जिस पावन भूमि में गंगा व सागर का संगम होता है उसे गंगासागर कहते हैं। जिसे सागरद्वीप भी कहा जाता है। गंगासागर मेला देश में आयोजित होने वाले तमाम बड़ेमेलों में से एक है। सागरद्वीप यानी गंगासागर में स्थित कपिलमुनि मंदिर के बारे में कहा जाता है कि आज से पांच हजार वर्ष पहले ही आमलोगों को उक्त धर्म स्थली की जानकारी मिलगयी थी। ऐसे में हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में मोक्ष स्नान के लिए देशभर से करोड़ों तीर्थ यात्री आते हैं। तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार मुड़ीगंगा नदी पर आवागमन सुगम बनाने में जुट गई है। यह जानकारी राज्य के सिंचाई मंत्री सोमेन महापात्र ने आज दी। सिंचाई मंत्री ने बताया कि नदी का बांध और किनारा पतला होने की वजह से ज्वार-भाटा आने पर नौका चलाना काफी खतरनाक होता है। गंगासागर तीर्थ यात्रा के दौरान यह समस्या और बढ़ जाती है क्योंकि इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इन्हें मुड़ीगंगा नदी के उस पार तक जाने के लिए करीब सात से आठ घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। जब ज्वार आता है तो फेरी सेवा बंद करनी पड़ती है और भाटा के समय नदी की धारा के साथ नौका से तीर्थ यात्रियों को पार कराया जाता है।राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की संस्था को आगामी आठ सालों के लिए मुड़ीगंगा नदी की ड्रेजिंग देखने का करार किया है। इसके लिए 120 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। इस रुपये से नदी के दोनों किनारों पर ज्वार-भाटा आने के बावजूद सुरक्षित वेसल(छोटी नाव) द्वारा यातायात सुनिश्चित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे न केवल गंगासागर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को सुविधाएं मिलेंगी बल्कि यह सालों भर नदी के उस पार जाने वाले लोगों के लिए भी मददगार साबित होगा। गंगासागर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार कई तरह की कोशिशें कर रही है। इसमें पर्यटकों के लिए सालों भर सरकारी यातायात व्यवस्था भी विकसित की गई है।

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