जाकीर अली
कोलकाता। मानव अधिकार की जोरदार वकालत करने वाला तंत्र भी यदि स्थानीय लोगों की सुरक्षा और विकास के लिए कुछ ठोस उपाय नहीं करता, तो वह अपनी विश्वसनीयता को कमजोर कर रहा है। उक्त बात आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बड़ाबाजार में प्रोटेक्शन फार डेमेक्रटिक ह्युमन राइटस ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय डा. प्रदीप दुबे ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन इसके साथ ही आमलोगों को भी इतना सजग बनाने की जरूरत है कि वे अपने शोषण का प्रतिरोध कर सकें और कोई सरकारी तंत्र या गैरसरकारी समूह उनका शोषण नहीं कर सके। सामाजिक न्याय विशेषकर वैश्वीकरण के व्यापक संदर्भ में अति आवश्यक मुद्दा बन चुका है। सरकारों और नागरिकों के पारंपरिक संबंध वैश्वीकरण के कारण बदल रहे हैं। लेकिन शर्म की बात है कि आज कुछ लोग मानवाधिकार के नाम पर रोटी सेंक रहे है। उक्त दौरान पीडीएचआरआई के उत्तर कोलकाता अध्यक्ष अवधेश सिंह ने कहा कि केव व्यवस्था को दोष देने से कुछ नही होगा। इस राज्य में भी आमजनों के हित के लिये राज्य सरकार काम कर रही है लेकिन जागरुकता के अभाव में आमजनों को इसका लाभ नही मिल पाता है। जरुरत है कि मानवाधिकार कर्मी बिना की रंग भेद के सरकारी योजनाओ के लिये लोगों की मदद करे। इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन व न्यायधीश कैलाश शर्मा, प्रो. उज्जवल बनर्जी, नेक मोहम्मद, जगदीश यादव, विष्णु अग्रवाल,निलोफर आदी ने अपनी बात कही। वही राजनारायण जायसवाल, राकेश जायसवाल आदी मौजूद रहे।
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