कन्हैया और कम्युनिस्ट…!!

लेखक वरिय पत्रकार हैं।    तारकेश कुमार ओझा  समय के समुद्र में कैसे काफी कुछ विलीन होकर खो जाता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर ममता बनर्जी को दोबारा शपथ लेते देख मै यही सोच रहा था। क्योंकि राज्...

ममता बनर्जी की दोबारा ताजपोशी के मायने

दीपक कुमार दासगुप्ता दीपक कुमार दासगुप्ता पश्चिम बंगाल की दोबारा मुख्यमंत्री बनीं ममता बनर्जी की सफलता किसी भी मायने में कम नहीं है। किसी के भी सत्ता में आ जाने के बाद उसके खिलाफ विरोधी लहर जैसी ही बन जाती ह...

​जय-वीरू का ये कैसा वनवास…!!

तारकेश कुमार ओझा   सत्तर के दशक की सुपरहिट फिल्म शोले आज भी यदि किसी चैनल पर दिखाई जाती है तो इसके प्रति दर्शकों का रुझान देख मुझे बड़ी हैरत होती है। क्योंकि उस समय के गवाह रहे लोगों का इस फिल्म की ओर झुकाव...

इक जग – दुनिया बहुतेरे…!!

तारकेश कुमार ओझा छात्र जीवन में दूसरी , तीसरी और चौथी दुनिया की बातें सुन मुझे बड़ा आश्चर्य होता था। क्योंकि अपनी समझ से तो दुनिया एक ही है। फिर यह दूसरी - तीसरी और चौथी दुनिया की बात का क्या मतलब। लेकिन बात...

चने के पेड़ पे…!!

तारकेश कुमार ओझा  दुनिया  में कई चीजें दिखाई पहले पड़ती है , लेकिन समझ बाद में आती है। बचपन में गांव जाने पर चने के पेड़ तो खूब देखे। लेकिन इस पर चढ़ने या चढ़ाने का मतलब बड़ी देर से समझ आया।इसी तरह हेलीकाप्...