इक जग – दुनिया बहुतेरे…!!

तारकेश कुमार ओझा छात्र जीवन में दूसरी , तीसरी और चौथी दुनिया की बातें सुन मुझे बड़ा आश्चर्य होता था। क्योंकि अपनी समझ से तो दुनिया एक ही है। फिर यह दूसरी - तीसरी और चौथी दुनिया की बात का क्या मतलब। लेकिन बात...

चने के पेड़ पे…!!

तारकेश कुमार ओझा  दुनिया  में कई चीजें दिखाई पहले पड़ती है , लेकिन समझ बाद में आती है। बचपन में गांव जाने पर चने के पेड़ तो खूब देखे। लेकिन इस पर चढ़ने या चढ़ाने का मतलब बड़ी देर से समझ आया।इसी तरह हेलीकाप्...